यादों के झरोखे से लेखनी कहानी -14-Nov-2022 भाग 3
यादों के झरोखे से भाग 3
ऋफरवरी के महीने में ही 15 फरवरी को मै और मेरी पत्नी के साथ गुरुग्राम से फतेहाबाद हरियाणा अपने घर पहुँचगया। फतेहाबाद पहुँचकर हमने खाटू श्याम व सालासर जाने का प्रोग्राम बनाया। हमारा ग्रुप फाल्गुन के महीने मे हर साल खाटू जाता है क्यौकि फाल्गुन में वहाँ लक्खी मेला लगता है।
इस मेले में पूरे देश के राज्यौ से बहुत लोग खाटू श्याम बाबा के दर्शन करने आते है। महाभारत के युद्ध से पहले बर्बरीक से भगवान कृष्ण ने शीश दान मे लेलिया था और उनको बरदान दिया था कि आपकी कलयुग में मेरे नाम से पूजा होगी और तुम खाटू नगर में विराजमान रहोगे।
आज भी खाटू में उनका सिर रखा हुआ है उसकी ही पूजा होती है उनको हारे का सहारा कहा जाता है। वह जो हारता था उसकी ही सहायता करते है। इसी डर से भगवान कृष्ण ने उनका शिर दान में ले लिया था क्यौकि भगवान कृष्ण को डर था कि जब कौरव सेना हार जायेगी तब वह उनकी सहायता करेंगे तब जीत कौरवौ की होजायेगी।
तब भगवान कृष्ण ने अर्जुन के साथ ब्राह्मण का भेष बनाकर उनसे दान में सिर ले लिया था। इसके बाद बर्बरीक ने पूरा महाभारत देखा था।
17 फरवरी को बारह लोग सुबह खाटू श्याम की यात्रा परनिकल पडे़ उसके लिए हमने एक बडी़ गाडी़ किराये पर की थी। सुबह पाँच बजे हम फतेहाबाद से निकँ लिए।
सबसे पहले हम झुंझुनूँ पहुँचकर रानी सती के मन्दिर में पहुँचकर वहाँ रानी सती के दर्शन किये। हमारे पूरे ग्रुप ने वहीं फर खाना खाया। वहाँ रानी सती के मन्दिर मे ही खाने की ब्यबस्था है वहाँ फर अपने घर जैसा खाना मिलता है जो बहुत ही कम पैसौ में उपलब्ध है।
वहाँ पर खानाखाकर सभी ने कुछ समय तक आराम किया और इसके बाद खाटू नगरी के लिए पुनः प्रस्थान किया।
आगे का वर्णन कल के भाग में
# यादौ के झरोखे से २०२२
नरेश शर्मा " पचौरी "
Radhika
09-Mar-2023 01:00 PM
Nice
Reply
shweta soni
03-Mar-2023 10:22 PM
👌👌👌
Reply
अदिति झा
03-Mar-2023 02:38 PM
Nice
Reply